केमद्रुम योग के प्रभाव और उपाय

कुंडली में चन्द्रमा व्यक्ति की मानसिक स्तिथि, स्वास्थ्य तथा भाग्यवृद्धि का कारक माना जाता है |  यदि चन्द्रमा पक्षबल और दिग्बल में मजबूत हो और इसके दोनों और मंगल, बुध, शुक्र व शनि ग्रहों में से  कोई भी ग्रह स्तिथ हो तो चन्द्रमा को बलवान माना जाता है |

केमद्रुम योग के प्रभाव और उपाय


चन्द्रमा जब बली होता है तो व्यक्ति मानसिक रूप में सुदॄढ़, भाग्यवान तथा स्वस्थ होता है |  व्यक्ति को निरंतर अपने सभी कार्यों में सफलता मिलती रहती है |  इसके विपरीत अगर चन्द्रमा के दोनों और ऊपर बताये अनुसार कोई ग्रह नहीं है तो चन्द्रमा निर्बल माना जाता है तथा इस कारण व्यक्ति को भाग्यवृद्धि नहीं मिल पाती और अंतिम समय पर बने हुए काम भी बिगड़ जाने की स्तिथि बनी रहती है|  व्यक्ति सदा निराश, परेशान, उदासीन रहता है तथा अकेले रहने की भावना अधिक होती है|  ऐसा व्यक्ति सदा असमंजस की स्तिथि में रहता  है और जल्दी विचलित व असहज हो जाता है |  अक्सर ऐसे व्यक्ति की माता का स्वास्थ भी ख़राब रहता है |  ऐसे व्यक्ति को हमेशा दूसरों के मार्गदर्शन की आवश्यकता रहती है तथा अपने निर्णयों को वह  जल्दी बदल देता है |

अगर चन्द्रमा दिग्बल से भी हीन हो (जन्म लग्न से दशम भाव में स्तिथ) तो व्यक्ति को उसकी मेहनत का फल नहीं मिलता, उसके द्वारा किये गए कार्यों की सराहना नहीं होती तथा यह स्तिथि उसके सभी कार्यों को विपरीत रूप से प्रभावित करती है |  ऐसे व्यक्ति अक्सर आजीवन मेहनत करते रहते हैं परन्तु कार्यक्षेत्र में आगे नहीं बढ़ पाते हैं और इन्हे जीवन अनेक बार आर्थिक कष्टों का सामना भी करना पड़ता है|  चन्द्रमा के एक और अगर सूर्य अथवा राहु केतु हों तो यह अति  अशुभ केमद्रुम योग बनता है तथा इससे व्यक्ति की मानसिक स्तिथि अशांत होती है, गलत संगति की और आसानी से आकर्षित हो जाते हैं और उनमे स्वयं के बल पर निर्णय लेने की क्षमता की कमी होती है | 

कुंडली के अध्ययन द्वारा केमद्रुम योग को जाना जा सकता है तथा आवश्यक उपायों को करके इसका निवारण किया जा सकता है जैसे कि प्रतिदिन शिव उपासना करने से, चन्द्रमा के मंत्र का प्रतिदिन जप करने से, केमद्रुम शांति यन्त्र के प्रयोग से, आदि |