कुंडली में कुछ ऐसे योग होते हैं जिनके कारण वैवाहिक जीवन में बाधाएं आने तथा कष्टपूर्ण बने रहने की संभावना बनी रहती है जैसे कि :-
- विवाह होने में निरंतर विलम्ब होता रहता है
- विवाह करने की इच्छा ही नहीं होती
- विवाह सम्बन्ध होने के बाद टूट जाता है
- विवाह के बाद दंपत्ति में मतभेद होना तथा तलाक हो जाना
- दंपत्ति में आपसी आकर्षण न होने के कारण तलाक हो जाना
- शत्रुओं जैसे होते हुए भी विवाह बंधन में बंधे रहना
- तलाक के बाद दूसरे विवाह में भी सफलता नहीं मिलना
ये सभी स्तिथियाँ कुंडली में उपस्थित ग्रह योगों के कारण उत्पन्न होती है जैसे कि सप्तमेश का नीच राशि में होना, शून्य या अंतिम अंशों में होना, पापकर्तरी योग में होना, सप्तमेश का ग्यारवहे, बारहवे या तीसरे घर में होना और उस पर पाप ग्रहों का प्रभाव होना, तीन या चार ग्रह वक्री होना आदि | इसके अतिरिक्त भी कुछ अन्य ग्रह स्तिथिया होती है जो की वैवाहिक जीवन में कष्ट तथा तनाव की स्तिथि उत्पन्न करती हैं |
व्यक्ति की कुंडली का सावधानी पूर्ण अध्ययन करके ये जाना जा सकता है की उसके वैवाहिक जीवन में उत्पन्न कष्टकारी परिस्तिथियाँ किन ग्रह योगों के कारण हैं तथा इसके पश्चात् इनका ज्योतिषीय उपायों द्वारा निवारण कर व्यक्ति का वैवाहिक जीवन काफी हद तक ठीक किया जा सकता है | उदहारण के लिए अगर किसी कन्या के विवाह में बार बार रुकावटें आ रही हों, रिश्ते की बात बनते बनते बिगड़ जाती हो या रिश्ता तय होने के बाद भी टूट जाता हो तो इस स्तिथि से मुक्ति के लिए उस कन्या को माँ कात्यायनी देवी की पूजा करनी चाहिए| इसी प्रकार वैवाहिक जीवन सम्बंधित अन्य सभी प्रकार की समस्याओं के निवारण के लिए भी उपाय किये जाते हैं |